तुम मिलो न मिलो ये अलग बात है,
दिल तो दिल है, दिल के जज़्बात हैं।
जब तक रहूँगा मैं जिंदा तुम्हें चाहूँगा,
हर दुआ में तुम्हारा ही साथ माँगूँगा,
क्या लिखा है नसीबा में, खुदा जाने,
दीवानों के जैसे ही मेरे भी हालात हैं।
तुम मिलो न मिलो ये अलग बात है,
दिल तो दिल है, दिल के जज़्बात हैं।
मैं लिखता हूँ ग़ज़लें तुम्हारी याद में,
तुम रहती शामिल, मेरी फरियाद में,
वो चाहे तो करले कबूल मर्जी उसकी,
उससे शुरू उस पे खत्म ख़यालात हैं।
तुम मिलो न मिलो ये अलग बात है,
दिल तो दिल है, दिल के जज़्बात हैं।
बैठ कर अकेले, यूँ ही गुनता रहता हूँ,
उसकी यादों का गीत सुनता रहता हूँ,
उसके रूबरू हो के कहाँ मिल पाता हूँ,
उससे दूर होता, होती तब मुलाकात है।
तुम मिलो न मिलो ये अलग बात है,
दिल तो दिल है, दिल के जज़्बात हैं।
🖊️सुभाष कुमार यादव