जब कयामत का सिला आ जायेगा
तो एक तिनके की तरह बह जायेगा
तलखियां बैठी रहीं गर जहन में यूँही
बस अकेला आदमी यहाँ रह जायेगा
क्या नहीं तुझको मिला रोता है क्यों
दुनियां का मालिक नहीं बन पायेगा
मेरा अपना भी तो अब अपना नहीं है
वक्त एक दिन यह तुम्हें समझाएगा
आँख मीचे जिन भर भरोसा कर रहे
देख लेना उनसे ही तू धोखा खायेगा
कौन अपना यार सच्चा है यहाँ दास
दुश्मनों से हमको पता चल जायेगा
माँ की ममता का बड़ा गहरा है तल
एक समंदर भी यहां तो गुम जायेगा
ऐसी सजा उसको मिलेगी जुर्म की
देखकर मुहं को हर कलेजा आएगा II

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




