भूल जाना मेरे दोस्त भले ही मुझे,
पर मेरी कविताओं को भूल मत जाना।
मैं जी लूंगी अगर तू मुझे भूल गई
मैं जी लूंगी अगर तू मुझे भूल गई,
पर जी नहीं पाऊंगी अगर जो तू
कविताओं को मेरी भूल गई।। भूल जाना मेरे दोस्त भले ही मुझे,
पर मेरी कविताओं को भूल मत जाना.......✍✍
तू जानती है कि कैसी हूॅं मैं,
तभी तो आज कह रही थी कि संवेदनशील हूॅं मैं।
एक तू ही तो है जो शायद पूरी तरह से
मुझसे वाक़िफ़ है, वरना दुनियां तो मुझे जानती तक नहीं है।।
भूल जाना मेरे दोस्त भले ही मुझे,
पर मेरी कविताओं को भूल मत जाना।
ना करे तू याद मुझे,कोई गिला नहीं
ना करे तू याद मुझे कोई गिला नहीं,
पर ऐ मेरे दोस्त,
हर रोज तू मेरी कविताओं को ज़रूर पढ़ लेना, जिन्हें पढ़ना हर किसी के नसीब में नहीं।।
भूल जाना मेरे दोस्त भले ही मुझे,
पर मेरी कविताओं को भूल मत जाना.......✍✍
गुम हो जाऊं अगर मैं इस जहां में कहीं,
जानती हूॅं तू मुझे ढूॅंढ ज़रूर लेगी।
पता है कई जिम्मेदारियाॅं है तेरे कंधों पर,
इसलिए मुझे याद करने के लिए मैं तुझे
मजबूर नहीं करूॅंगी।।
- रीना कुमारी प्रजापत