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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra The Flower of WordThe novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayara By Reena Kumari Prajapat

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The novel 'Nevla' (The Mongoose), written by Vedvyas Mishra, presents a fierce character—Mangus Mama (Uncle Mongoose)—to highlight that the root cause of crime lies in the lack of willpower to properly uphold moral, judicial, and political systems...The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

                    

आलम-ए-ग़ज़ल परवेज़ अहमद की ग़ज़ल - बहुत समझा मुझे तुम ने मगर फिर भी कहाॅं समझे

"ग़ज़ल"

बहुत समझा मुझे तुम ने मगर फिर भी कहाॅं समझे!
वही समझेगा मुझ को जो मिरे अश्कों की ज़ुबाॅं समझे!!

नज़र के तीर को समझा न अबरू की कमाॅं समझे!
जहाॅं घायल हुए ऐ हुस्न! हम तुम को वहाॅं समझे!!

मिरी ख़ुश-फ़हमी का ये आलम कि कुछ पूछो मत यारों!
रंज-ओ-ग़म के मरघट को ख़ुशी का हम जहाॅं समझे!!

अगर दिल ही लगाना है लगाओ दिल फिर तुम उस से!
जो दिल में उतर के दिल का तिरे दर्द-ए-निहाॅं समझे!!

समझ समझ के भी ऐ 'परवेज़'! हम कुछ नहीं समझे!
इश्क़ को नातवाॅं समझा हुस्न को बे-ज़ूबाॅं समझे!!

- आलम-ए-ग़ज़ल परवेज़ अहमद
© Parvez Ahmad




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (6)

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Lekhram Yadav said

एक नई एक दिन तो समझना ही होगा अहमद भाई, बहुत खूब लिखा, सुप्रभात सहित सादर नमस्कार।

सुभाष कुमार यादव said

बेहतरीन ग़ज़ल।👌👌🙏

शिवचरण दास said

वाह वाह. .. हम तो आलम और परवेज समझे

आलम-ए-ग़ज़ल - परवेज़ अहमद said

शुक्रिया! शुक्रिया! बहुत-बहुत शुक्रिया, यादव जी! आदाब! ❤️🙏

आलम-ए-ग़ज़ल - परवेज़ अहमद said

बहुत-बहुत शुक्रिया आपका, सुभाष जी! ❤️🙏

आलम-ए-ग़ज़ल - परवेज़ अहमद said

बहुत-बहुत शुक्रिया आपका, दास जी! ❤️🙏

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