मेरी ज़िंदगी का कोई भरोसा नहीं,
एक पल में क्या हो जाये ये ख़ुद मुझे पता नहीं।
कहते हो तुम, आ जाना,
पर मैं कैसे हां कर दूं
कल रहूं या ना रहूं जब ये मुझे पता नहीं।
दुआ करना कि हम रहें तब,
ज़रूरत हो तुम्हें हमारी जब।
रहे सलामत हम,तो चले आयेंगे,
तुम पुकारोगे जब।
आना तो हम भी चाहते हैं,
पर वादा नहीं करना चाहते हैं।
क्योंकि ज़िंदगी ने हमें इस क़ाबिल
छोड़ा नहीं कि हम वादे करे,
और वादे हम नहीं तोड़ना चाहते हैं।
हो सके हम आ ना पाए उस दिन,
हो सके हम ना रहे उस दिन,जब हो उसका जन्मदिन। उसके लिए तोहफ़ा भिजवा दिया है तुम तक,
हमारा नाम उसे बताकर दे देना उसे उस दिन।
जानते हैं ग़र हम ना आ सके उस दिन,
चैन से जी यहां भी नहीं पाएंगे हम उस दिन।
क्योंकि जिस तरह मछली नहीं पानी के बिना,
उसी तरह हम भी नहीं तेरे बिना।
पर कमबख़्त ज़िंदगी है कि साथ देती नहीं,
जिस तरह तू ,उसी तरह अधूरे तो हम भी है तेरे बिना।
मेरी ज़िंदगी का कोई भरोसा नहीं,
एक पल में क्या हो जाये ये ख़ुद मुझे पता नहीं।
कहते हो तुम, आ जाना
पर मैं कैसे हां कर दूं,
कल रहूं या ना रहूं जब ये मुझे पता नहीं........
* रीना कुमारी प्रजापत