"ग़ज़ल"
पैरों तले ज़मीं सर पे आसमान चाहिए!
लड़ना हो ज़ालिमों से तो ईमान चाहिए!!
ऐ क़ौम-ए-तौहीद! सर-ब-कफ़न बस आगे बढ़ो!
अगर पहले वाला तुम को हिन्दुस्तान चाहिए!!
मुश्किल घड़ी में हम अपना जौहर दिखाते हैं!
हम वो नहीं जिन्हें काम कोई आसान चाहिए!!
मौत से डरना हमारी फ़ितरत में नहीं शामिल!
मैदान-ए-जंग हम को लहू-लुहान चाहिए!!
जो हर मज़हब की इज़्ज़त करे हो सब का मुहाफ़िज़!
इस देश को इक ऐसा निगहबान चाहिए!!
इन गीदड़-भभकियों से सुन डरने वाले हम नहीं!
मुझ जाॅं-बाज़ की तू जान ले गर जान चाहिए!!
'परवेज़' उड़ जाए नफ़रत जिस में तिनके की तरह!
मुझे शायरी की शक्ल में तूफ़ान चाहिए!!
- आलम-ए-ग़ज़ल परवेज़ अहमद
© Parvez Ahmad