कह दिया कटार कभी, हमने उनकी आंखों को
आज हमने जाना कि, ये खता हमारी थी
इसीलिए घायल हम,फिरते हैं आज भी
जाने कैसी धार थी, जाने कैसी मारी थी
मित्र कहा करते थे, इश्क की इबादत है
हमको तो लगता था,जीने की लाचारी थी
ना तो दिन,दिन रहा,ना तो रात, रात रही
नींदों में, सपनों में, हंसने की बीमारी थी
देख देख चांद को, कल्पना में डूबे थे
तारों की झिलमिल से, खूब अपनी यारी थी
फूलों की खुशबू से, सांसों में लहर थी
धड़कनों को बांधे, उनकी ख़ुमारी थी
बातें किया करते थे, अकेले में स्वयं से
लोग कहते थे,ये दिल की बीमारी थी
बंधे प्रेम डोर से, दिल से दिल का हुआ मेल
वो जिंदगी हमारी है, जिंदगी हमारी थी
वो जिंदगी हमारी है, जिंदगी हमारी थी।
सर्वाधिकार अधीन है