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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra The Flower of WordThe novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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The Flower of Word by Vedvyas MishraThe Flower of Word by Vedvyas Mishra
Dastan-E-Shayara By Reena Kumari Prajapat

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The novel 'Nevla' (The Mongoose), written by Vedvyas Mishra, presents a fierce character—Mangus Mama (Uncle Mongoose)—to highlight that the root cause of crime lies in the lack of willpower to properly uphold moral, judicial, and political systems...The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

                    

कह दिया कटार कभी

कह दिया कटार कभी, हमने उनकी आंखों को
आज हमने जाना कि, ये खता हमारी थी

इसीलिए घायल हम,फिरते हैं आज भी
जाने कैसी धार थी, जाने कैसी मारी थी

मित्र कहा करते थे, इश्क की इबादत है
हमको तो लगता था,जीने की लाचारी थी

ना तो दिन,दिन रहा,ना तो रात, रात रही
नींदों में, सपनों में, हंसने की बीमारी थी

देख देख चांद को, कल्पना में डूबे थे
तारों की झिलमिल से, खूब अपनी यारी थी

फूलों की खुशबू से, सांसों में लहर थी
धड़कनों को बांधे, उनकी ख़ुमारी थी

बातें किया करते थे, अकेले में स्वयं से
लोग कहते थे,ये दिल की बीमारी थी

बंधे प्रेम डोर से, दिल से दिल का हुआ मेल
वो जिंदगी हमारी है, जिंदगी हमारी थी
वो जिंदगी हमारी है, जिंदगी हमारी थी।


यह रचना, रचनाकार के
सर्वाधिकार अधीन है


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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (7)

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Lekhram Yadav said

वाह बहुत खूबसूरत रचना, मगर ऐसी खता मत किया करो जिससे दिल की बिमारी और बढ जाए, हम चाहते हैं कि वो आपकी ही रहे और जिन्दगी तुम्हारी बढ जाए, मजा आ गया भाई, आपको सुप्रभात सहित सादर नमस्कार।

मनोज कुमार सोनवानी "समदिल" said

धन्यवाद आदरणीय लेखराम जी 🙏

मनोज कुमार सोनवानी "समदिल" said

आदरणीय लेखराम सर जी, आपकी जिंदादिली और विनोद पूर्ण प्रतिक्रिया से दिल गदगद हो जाता है,आपके इस अपनेपन से मेरी कलम को नया उत्साह मिल जाता है, रचना को आशीर्वाद प्रदान करने के लिए हृदय तल से धन्यवाद आभार नमस्कार 🙏🙏🌹🌹

आलम-ए-ग़ज़ल - परवेज़ अहमद said

वो ज़िंदगी हमारी है, ज़िंदगी हमारी थी!
वाह क्या बात है! बेहद ख़ूबसूरत ग़ज़ल! कमाल का लिक्खा है आपने, मनोज जी! वैसे आप हमेशा लाजवाब ही लिखते हैं, और इतना कि तारीफ़ के लिए शब्द कम पड़ जाते हैं! बे-मिसाल कलाम! 👌👌👏👏❤️🙏

वन्दना सूद said

खूबसूरत रचना sir 👏👏👌👌

Kantilal Babulal Sopariwala said

आपकी प्रतिक्रिया बहोत दिलचस्प हे पर क्या करे सभी में
सभी चीजे नहीं होती कोइना कोई कमजोरी रहती हे में
गुजराती माध्यम में पढ़ा हूं वह भी ग्यारहवीं तक हिंदी से
लगाव होने की वजह और बचपन से कुछ न कुछ लीखनेका
शौक मुजे इस रास्ते पर लाई हे आपका आभारी रहूंगा

सुभाष कुमार यादव said

बहुत सुंदर रचना। प्रिय की यादों में डूबे रहने की आनंदमयी अनुभूति का सुंदर वर्णन।👌👌🙏🙏

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