ना हुआ मन का तो कोई बात नहीं।
ना मिला साथी मन का तो कोई बात नहीं ।
जो मिला उसी से संतोष कारों।
जीवन खुशियों से ओत प्रोत करो
कुछ भी हासिल नहीं होता
उसके पीछे भागने से।
और वो हमदम नहीं बन पाता जिसके पीछे
दिन रात भागने से।
मेहनत के बल पर सब कुछ बदल सकता है, पर है वह आदमी वह भगवान नहीं बन सकता है।
पर सबको अपने कर्मों का हिसाब भी देना पड़ता है।
इसलिए जो हो रहा है उसे स्वीकार करो
हठधर्मिता का परित्याग करो।
सदा मुस्कुराते रहो खुश रहो और जिंदगी में
जो कुछ भी मिला उसे खुशी खुशी स्वीकार करो..
उसे खुशी खुशी स्वीकार करो....

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




