मुझसे तो जिंदगी की किश्तें और सांसों को कर्ज़ ना उतरा..
और उनसे हुई एक दफ़ा मुलाकात का कर्ज़ ना उतरा..।
ज़माने को जो कहना था वो तो आख़िर कहकर ही रहा..
और हमसे हमारी ख़ामोशी के जज़्बात का कर्ज़ ना उतरा..।
बात बात में वक्त की चाल में कमियां निकालते रहे..
मगर ज़िंदगी में मन मुआफ़िक़ हुए हालात का कर्ज़ ना उतरा..।
चमन में गुल बेसबब ही, भंवरों के एहसान में थे..
उधर बागबां से अबके हुई बरसात का कर्ज़ ना उतरा..।
उनके एहसानों का हिसाब तो बहियों में लिखा हुआ मिला..
मगर हमारी मुहब्बत के एक भी लम्हात का कर्ज़ ना उतरा..।

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




