आईना - ए - सियासत ,
वाह वाह ! रे कायनात ,
हावी हो रही है रवायत ,
जज्बातों-नारों में महारत,
अपनों पर ढलती कयामत,
गैरों पर बौछार-ए-इनायत ,
हकीकत है मकसद-ए-हयात ,
धन्य है सियासत-ए-तिजारत !
✒️ राजेश कुमार कौशल
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वाह वाह ! रे कायनात ,
हावी हो रही है रवायत ,
जज्बातों-नारों में महारत,
अपनों पर ढलती कयामत,
गैरों पर बौछार-ए-इनायत ,
हकीकत है मकसद-ए-हयात ,
धन्य है सियासत-ए-तिजारत !
✒️ राजेश कुमार कौशल