एक
बेबस आँखों से झाँकती खुशियों की चमक
हर किसी के दिल को उजाले से भर देती है .
दो
दिल की दहलीज पे अब गम खड़े हैं बेशुमार
खुशियों सारी लूटने को ये गम अड़े हैं बेशुमार
सारी दुनियां से लड़े जिसे हम अपना मानकर
हमारी वफ़ा पे उसके ही सवाल उठे हैं बेशुमार .
तीन
आँख में आंसू पाँव में छाले सहना अपना काम है
राजा नहीं हैं कालीन बिछे हम सिर्फ आम इंसान हैं
एक तरफ सब कुछ हासिल इस तरफ कमियां सब
ऊँचे महलों में है धन सारा बस झोपड़ी में ईमान है
चार
यह जिन्दगी की रीत है अब कौन जाने
कुछ हार में भी जीत है यह कौन माने
गम खुशी का सफऱ तो चलता रहता है
कुछ अश्क़ में भी संगीत है ये कौन माने.
पांच
जाने क्यूँ हमारे सब रास्ते रुक जाते हैं
दिल के सारे ही अरमान बिखर जाते हैं
अंधेरा जिन्दगी का दूर नहीं होता कभी
हम जो भी दिए जलाते हैं बुझ जाते हैं.
छ
उड़ लिए ऊँचे आसमान में बहुत
चलो अब तो जमीन पे उतर आएं
देख लिए हसीन ख्वाब बहुत दास
बेहतर अब हकीकत पे रुक जाएं .
सात
उदास रात के सीने में हूक उठती है
तमाम रात एक शमा आह भरती है
हरेक आहट पर ये दिल मचलता है
तुझे पाने हर पल ये आस जगती है II
आठ
जाने क्या लिखा है किस्मत में हमारी
हमको हरेक तलवार मिलती है दुधारी
हम किसी का सोचते हैं गर भला कुछ
खुद खता वो दास बन जाती है हमारी.
नौ
दिल का दर्पण ऐसे धुंधला हो गया है दोस्तों
हर ख़ुशी का अपनी तर्पण हो गया है दोस्तों
दर्द का आतंक इतना बढ़ रहा है चारो और
बिन लड़े अपना समर्पण हो गया है दोस्तों II
दस
कुछ ना कुछ दूरी तो हरेक से बनाये रखना
ऐसा न हो बाद में किसी दिन पछताएं वरना
ऊंचाई पाने के लिए एक एक पग जरुरी है
छलांग से बेहतर है सीढ़ियां एक एक चढ़ना.
ग्यारह
एक पल में शह तो अगले पल मात है
जिन्दगी खुद हमारी शतरंज की बिसात है .