क्या अपने परिचय से परिचित हूं मैं,
क्या अपने उद्देश से परिचित हूं मैं,
अब इस मझधार में किनारा ना मिल रहा है,
क्या मैं उस किनारे से परिचित हूं मैं,
सौ बार दर्द दिये तूने फिर भी तू ही मेरी मंजिल क्यों,
......... शायद किस चीज से परिचित हूं मैं ,
परीचित हूं मैं......kavi Raju verma
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