भ्रष्टाचार के तीन लाल।
जब से हुए, मालामाल।
भर रहे हैं झोला,
बीते सालों साल।
तर्क नहीं कुतर्क कर रहे।
देखो, यह फर्जी मिलकर
सत्य को कुचल रहे।
बेशर्मी की हद हो गई,
जब रिकॉर्ड बकरी खा गई।
मुख्य मुद्दा फर्जी वाड़े का तो मर गया।
डंकी लाल डंक बिफर गया।
आनन फानन में बैठक बुलाई गई,
अंकी लाल अंक ने फॉर्मूला सुझाया।
एक नया रजिस्टर बनवाइए,
शिकायत उसमें चढ़वाइए
इमली रानी इंक को,
भ्रष्टाचार समिति का अध्यक्ष बनाइए।
फिर घसीटे जाएंगे, पुराने ही सवाल।
मुद्दा चलता रहेगा, सालों साल।
वह खाते कभी बाहर नहीं आएंगे।
उनके हिस्से उनको पहुंचा दिए जाएंगे।