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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

पिल्लू के पांड़ा

पिल्लू के पांड़ा बाँणेसर बनल बा
दाँवत बा भूसा थिरेसर बनल
पिल्लू दौड़े..... भला कैसे पकड़े
पांड़ा के पकड़े के पिरेसर बनल बा

गहबर कहेले जे भेटा जईहें पांड़ा
पिट के दुआरे ले पेठा जईहें पांड़ा
दल्लम कहेँले हम त हई भैंसा
हमरा के देख के लुका जईहें पांड़ा
पकड़ लेब पांड़ा भले फूटे टोनाड़ा
भगवान इहाँ से देह पर बिरेकर बनल बा
पिल्लू दौड़े......भला कैसे पकड़े
पांड़ा के पकड़े के पिरेसर बनल बा

फूंत्री के देख के दुलत्ती चलावे
पिल्लू के पांडा कुलत्ती कहावे
हट - हट करें ज़ब खपच खुरू तब
फुन्फकार मारि के मारे के धावे
यमराज के जैसे कन्फुकवा ह चेला
आपन करतब चित्रगुपुत से लिखावे
बड़ा भाग्यशाली बाँ के हाथे न आवे
पोखरवो में उ अब स्ट्रेमर बनल बा
पिल्लू दौड़े..... भला कैसे पकड़े
पांड़ा के पकड़े के पिरेसर बनल बा

लुका जाला झट से कउनो मकाने के आड़े
हट - हट करे पर बड़ा काँखे दहाड़े
कउनो उपईया सुझाए न केहू के
उपाय खातिर जईहे लोग कउनो अखाड़े
पहलवानी के चर्चा में बाड़ें चच्चा तौलम
उनके लइकवा भी कतहूँ किंग
मेकुर बनल बा
पिल्लू दौड़े..... भला कैसे पकड़े
पांड़ा के पकड़े के पिरेसर बनल बा


पिल्लू ज़ब पिलाण्डी के शरण में आ गइलें
गऊआँ जवरवा में चर्चा मा छा गइलें
पांडा न पकड़ाईल पिलाण्डी के हाथे
गारी - कुहड़ कथन से चचा पिलाण्डी अघा गइलें
कूदे - फाने - दौड़े पर विकिट न गिरे दे
पिल्लू के पांड़ा टेस्ट सीरीज के किरकेटर बनल बा
पिल्लू दौड़े..... भला कैसे पकड़े
पांड़ा के पकड़े के पिरेसर बनल बा
-सिद्धार्थ गोरखपुरी




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