क्रंदन करती धरती पुकारे
त्यागों व्यभिचार जो है न तुम्हारे।
मारकाट लूटपाट करते हो क्यों मानव
तन नर का पाकर बने हुए क्यों दानव?
मनुष्य जन्म जैसा ना कोई है दूजा
सत्मार्ग पर चलो है सबसे बड़ी पूजा।
सत्य का मार्ग होता है माना कठिन
किन्तु विजय है उसकी रहा जो अडिग।
अपने बल का तुम न दुर्पयोग करो
पशु नहीं मनुष्य हो तुम ध्यान धरो।
प्रलोभन भांति भांति के जो मन डिगाएं
तब धर्म की शक्ति ही केवल राह दिखाए।
ईश्वर के उपकारों का करो बखान
दिया जिसने श्वास संग सुविधा तमाम।
जीवन है यह क्षणभंगुर समझ ले प्यारे
मार्ग मानवता का अब तो तू अपना ले।
_ वंदना अग्रवाल 'निराली'

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




