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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra The Flower of WordThe novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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The Flower of Word by Vedvyas MishraThe Flower of Word by Vedvyas Mishra
Dastan-E-Shayara By Reena Kumari Prajapat

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The novel 'Nevla' (The Mongoose), written by Vedvyas Mishra, presents a fierce character—Mangus Mama (Uncle Mongoose)—to highlight that the root cause of crime lies in the lack of willpower to properly uphold moral, judicial, and political systems...The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

                    

यूँ ही नहीं शुरू होता सफर

यूँ ही नहीं शुरू होता सफर
छोटा सा शिशु कितना रोता है
और हँसता भी तो
कितने खेल खिलाता है वह
कितनी चोटें खाता है वह
दुःख सुख के कितने पल जाने
अनचाहे दे जाता है वह

कोमल ह्रदय बहुत रोई माँ
छोटी सी ही चोटों पर
इठलाई इतराई भी तो
छोटी छोटी बातों पर
मेरा मुन्ना मेरी मुन्नी
जग से न्यारी सब से प्यारी
कहते कहते थकी ना अब तक
उम्र काट दी उसने सारी

कठोर ह्रदय जिसे सब कहते
कहाँ कठोर वह होता होगा?
पिता है उसका, डॉट दिया है
चोट लगी है, चोट भी क्या है?
चोट से कुछ कह सकता है क्या?
अगली बार लगे न उसको
इसी लिए बस डॉट दिया है
फ़िक्र है उसकी समझाया है
चोट लगे पर वह भी तो
बच्चे से ज्यादा रोया होगा
कहाँ कठोर वह होता होगा?

-प्रतिभा सिंह




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (4)

+

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

सुन्दर अभिव्यक्ति

Vineet Garg said

Sundar Rachna aur sheershak "यूँ ही नहीं शुरू होता सफर" bahut hi achhe tareke se maata pita ka apne bachhe ke liye kar gujrana samjhaya hai drd bhi hai...karuna bhi...Rona aagaya jab khud ko us bachhe ki jagah rakha or maa baba ko rachna ke maa baba ki jagah..

वन्दना सूद said

बहुत सुन्दर रचना 👏👏

उपदेश कुमार शाक्यावार said

बहुत सुंदर भावनात्मक रचना

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