यूँ ही नहीं शुरू होता सफर
छोटा सा शिशु कितना रोता है
और हँसता भी तो
कितने खेल खिलाता है वह
कितनी चोटें खाता है वह
दुःख सुख के कितने पल जाने
अनचाहे दे जाता है वह
कोमल ह्रदय बहुत रोई माँ
छोटी सी ही चोटों पर
इठलाई इतराई भी तो
छोटी छोटी बातों पर
मेरा मुन्ना मेरी मुन्नी
जग से न्यारी सब से प्यारी
कहते कहते थकी ना अब तक
उम्र काट दी उसने सारी
कठोर ह्रदय जिसे सब कहते
कहाँ कठोर वह होता होगा?
पिता है उसका, डॉट दिया है
चोट लगी है, चोट भी क्या है?
चोट से कुछ कह सकता है क्या?
अगली बार लगे न उसको
इसी लिए बस डॉट दिया है
फ़िक्र है उसकी समझाया है
चोट लगे पर वह भी तो
बच्चे से ज्यादा रोया होगा
कहाँ कठोर वह होता होगा?
-प्रतिभा सिंह

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




