कापीराइट गजल
लगते हैं खूबसूरत कितने
लगते हैं, खूबसूरत कितने, यह रंजोगम के मेले
हम अपनों की भीङ में, जब हो जाते हैं अकेले
जब जख्म देकर हजार गुजर जाती है ये बहार
तब, मिल जाते हैं अक्सर, यह हंसी गम के रेले
सुन, रहे हैं, बात सब की, ना जाने कैसी-कैसी
यह, कैसी चली हवा, क्यूं हम, रह गए अकेले
वो उङा रहे हैं हंसी इस जमाने के संग मिल के
वो, खेलते हैं मेरे दिल से, छोङ कर हमें अकेले
वो, मना रहे हैं खुशियां, हमें दे कर हजार गम
उनकी खातिर हमने, गम न जाने कितने झेले
हम चाह कर भी उनको बद्दुआ दे नहीं सकते
वो, आबाद, रहे खुशी से, रह लेंगे हम अकेले
किसको मिली है जिन्दगी में हर खुशी यादव
चले आते हैं जिन्दगी में, जब यह गम के मेले
- लेखराम यादव
( मौलिक रचना )
सर्वाधिकार अधीन है


The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra
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