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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

मुझे उससे प्रेम है - अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र'

मुझे उससे प्रेम है,
उसे मुझसे नहीं,
फिर भी,
मुझे उससे प्रेम है,
और यह बेईमानी है तो,
बेईमानी सही।

उसके चाहने की भी चाह थी,
उसकी चाह नहीं है,
फिर भी
उसके चाहने की चाह है,
और यह बेईमानी है तो,
बेईमानी सही।

यूँ तो प्रेम सीमित नहीं चाह तक,
उसको पाना चाहा,
उसकी अनुमति नहीं है,
फिर भी
उसको पाना चाहता हूँ,
और यह बेईमानी है तो,
बेईमानी सही।

----अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र'


यह रचना, रचनाकार के
सर्वाधिकार अधीन है


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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (7)

+

सुभाष कुमार यादव said

प्रेम का वो उच्चतम स्तर जहाँ प्रेम सर्वोपरि है चाहे वो प्रेम प्राप्त हो या न हो। जैसे हम ईश्वर की भक्ति करते हैं, वो प्राप्त हों या न हों तब भी। प्रेम केवल पाने का नाम नहीं, अपितु स्व का समर्पण एकात्म हो जाने का नाम है। बहुत सुंदर रचना। सादर प्रणाम पचौरी सर।🙏🙏

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

इस खूबसूरत शास्वत प्रेम को परिभाषित करती हुयी समीक्षा के लिए आदरणीय यादव सर जी को सादर प्रणाम सहित आभार

श्रेयसी said

अपेक्षा रहित प्रेम हीं तो शाश्वत होता है। बहुत गहरी बात लिखी आपने सर। बहुत सुंदर बहुत ख़ूब लाज़वाब रचना। सादर प्रणाम अशोक जी 🙏🙏

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

इस खूबसूरत शास्वत प्रेम को परिभाषित करती हुयी समीक्षा के लिए आदरणीय श्रेयषी Mam, जी को सादर प्रणाम सहित आभार

मनोज कुमार सोनवानी "समदिल" said

वाह, अशोक जी, क्या बात है। नायक के हृदय में नायिका की खूबसूरत तस्वीर विराजमान है, नायिका पसंद करे या न करे,पर नायक ताउम्र प्यार को अपने दिल में सजाकर रखने वाला है। प्रेम की सुंदर और मनमोहक पहलुओं में से एक सुंदरतम अनमोल मनोभाव को प्रकट करती ये रचना दिल की गहराई तक पहुंचती है। हृदय में प्रेम की जिद और जिद में भरी खूबसूरत एहसास को सहजता से आपने पाठकों के हृदय तक पहुंचा दिया। आपकी लेखन कुशलता के लिए हृदय से बधाई बधाई बधाई।👌👌🌹🌹🙏🙏

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

समीक्षा के लिए आभार एवं आदरणीय को सादर प्रणाम

रीना कुमारी प्रजापत said

मुझे उससे प्रेम है,उसे मुझसे नहीं,
फिर भी,मुझे उससे प्रेम है,
और यह बेईमानी है तो,बेईमानी सही।
वैसे इस बेईमानी से किसी का नुकसान नहीं.
है.... तो ये बेईमानी नहीं हुई... बेईमानी तब होती जब उन्हें भी पता होता कि वो आपसे प्रेम नहीं करती फिर भी आप उनसे प्रेम करते है या उन्हें बताते है तो, शायद ये तो एकतरफा प्रेम है तो यहां सामने वाले का कोई नुकसान नहीं है तो बेईमानी भी नहीं है😊 रचना बहुत सुंदर है बहुत बढ़िया🙏 दिल से सादर प्रणाम

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

समीक्षा के लिए आभार एवं आदरणीय को सादर प्रणाम

वन्दना सूद said

क्या खूब दिल्लगी है आपकी जनाब 👌👌👏👏एक दम मस्त अंदाज़

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

समीक्षा के लिए आभार एवं आदरणीय को सादर प्रणाम

शिवचरण दास said

यह बेईमानी ही अशोक है यह आसक्ति ही तो आद्र है बहुत सहज़ मगर गहन अभिव्यक्ति

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

समीक्षा के लिए आभार एवं आदरणीय को सादर प्रणाम

उपदेश कुमार शाक्यावार said

बहुत ख़ूब .. बहुत सुंदर 🙏🙏

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

समीक्षा के लिए आभार एवं आदरणीय को सादर प्रणाम

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