'अनहोनी'
एक चर्चा का विषय छिड़ गया
दर्द भरे दास्ताँ का वर्णन हो रहा
चींखे ग़मों का तराना झूम रहा
अंतस की आग को जला रहा
उठा धुँआ फिर नैनो को बहा रहा
एक चर्चा का विषय छिड़ गया……..
कैसी हक़ीकत जो आईना दिखा रहा
थोड़ी सी बेदरकारी ज़िंदगियाँ खा रहा
तकेदारी हो अगर तो सब संभल रहा
धैर्य का जैसे इम्तहाँ ले रहा
एक चर्चा का विषय छिड़ गया……
विधि का विधान सत्य समझ आ रहा
लेकिन सावधानी भी ला रहा
कर्मो के आधीन हर जीवन चल रहा
भक्ति का हो भाव तो कृपा बटोर रहा
'अनहोनी' का मंजर न सजे "दुआ" कर हरा
एक चर्चा का विषय छिड़ गया……