एक बड़ा सा बरगद का पेड़ और उसके चारों ओर बना हुआ गोल चबूतरा ही है हमारे ग्राम का चौपाल यानि ग्राम चौपाल ।
इसे हमारे गाँव का केन्द्र बिन्दु कह दें तो ये गलत न होगा !!
इसे पौराणिक व आधुनिक सी. सी. टी. व्ही. सेन्टर भी कह दें तो अतिशयोक्ति नहीं होगी ।
यह हमारे गाँव का, आसपास का,राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय समाचार का हृदय स्थल भी है !!
यहाँ हर दिन समाचार का विषय वस्तु बदल जाता है !!
यह एक प्रकार से पूछताछ केन्द्र भी है क्योंकि कोई भी व्यक्ति जो इस चौक से गुजरता है उसे पता बताने वाला कोई न कोई बैठा हुआ व्यक्ति मिल ही जाता है ।
रमरतिया सिंह जी यानि मास्साब जो काफी वृद्ध हो चुके हैं !
शिक्षकीय नौकरी से रिटायर्मेंट हुए उन्हें लगभग दस साल हो चुके हैं मगर देखने से उन्हें आप इस उम्र का कह ही नहीं सकते !!
मास्साब प्रायमरी स्कूल के हेडमास्टर रह चुके हैं अपने ज़माने के ।
भले ही मैट्रिक पास हैं मगर क्या मज़ाल कि उन्हें किसी बात की जानकारी न हो !!
जानकारी हो तो भी और न हो तो भी,उनके ज्ञान का लोहा हर कोई मानता है गाँव में !!
हाँ, सबसे बड़ी खूबी है ..सबसे मिल-जुलकर रहते हें वे ।
बस,उनकी बातों को आप न काटें..चाहे गलत हो या सही ..वर्ना वे नाराज़ हो जाते हैं !
इतने नाराज़ कि कई दिनों तक वे बिना मनाये वापस ही नहीं आते हैं !!
इस नाराज़गी से और चौपाल में मास्साब की अनुपस्थिति से से गाँव वालों का आई क्यू लेबल काफी कमज़ोर हो जाता है !!
उनकी नाराज़गी आजकल इसलिए भी ज्यादा है क्योंकि आजकल के युवा वर्ग गूगल के माध्यम से उनकी आधी-अधूरी जानकारी को काट देते हैं !
इसलिए वे किसी के भी हाथ में स्मार्टफोन देखने पर लगभग चिढ़ ही जाते हैं !!
आज के चौपाल का विषय वस्तु था - बढ़ती हुई गर्मी और उससे बचने के उपाय !
मास्साब के समाचार एवं जानकारी की सुपर फास्ट रेलगाड़ी छोटे- छोटे स्टेशनों को नजरअंदाज करते हुए अच्छी-खासी चल रही थी कि एक जानकारी के कारण समाचार के ट्रेक से उतर जाने के कारण फिर न आने की धमकी मिली ग्राम चौपाल के नियमित यात्रियों को ..दर्शकों को यानि ग्रामवासियों को !!
काफी जाँच-पड़ताल के बाद समाचार रेलगाड़ी के ट्रेक से उतरने का कारण ससुरी फिर से वही मोबाईल की जानकारी ही
निकली !!
इस बार तो मोबाईल के बैन पर ही बात आ गई क्योंकि उन्हें ये बिलकुल पसंद नहीं था कि क्रिकेट में किसी फोर्थ अंपायर की ज़रूरत हो और ग्राम चौपाल में बरसों से अनुभव के आधार पर हासिल की गई जानकारी पर कुछ भी कटाक्ष हो !!
मास्साब ने बोल दिया तो बोल दिया ।
ये ससुरी मोबाईल तो दुश्मन ही हो गई मास्साब की !!
पहला उपाय है - पेड़-पौधे हर व्यक्ति को इस अगले मानसून में लगाकर पूरे पाँच वर्ष तक रक्षा करनी होगी !
दूसरा उपाय ,कोई भी व्यक्ति गाँव में पेड़ नहीं काटेगा !
तीसरा उपाय , ए. सी.कोई भी नहीं लगायेगा बिना ग्राम चौपाल के अनुमोदन के ।
चौथा उपाय- आम ,नीम और पीपल जैसे पेड़ अधिक से अधिक लगाये जायेंगे क्योंकि ये ऑक्सीजन अधिक से अधिक देते हैं लगभग..
अब मास्साब बोल रहे थे कि हवा में ऑक्सीजन की मात्रा सोलह आने में पन्द्रह आने होने चाहिए यानि
चौरान्वे प्रतिशत !!
अब गाँव के प्रतिष्ठित लाल बुझक्कड़ यानि मास्साब अपनी जगह सही थे क्योंकि ये उनका बरसों का ज्ञान था !!
पाचवाँ उपाय बताने ही वाले थे मास्साब कि उनका पढ़ाया हुआ तथाकथित शिष्य गोलू अपने गूगल ज्ञान के आधार पर बीच में ही टपक पड़ा कि मास्साब आपके द्वारा दी जा रही जानकारी गलत है !!
चौरान्वे नहीं ,मात्र इक्कीस प्रतिशत ही होनी चाहिए !!
बात ऑक्सीजन की उपस्थिति इक्कीस या चौरान्वे प्रतिशत की नहीं रही अब !!
बात तो इमेज तक पहुँच गई मास्साब की !!
अब तो मास्साब सीधे राष्ट्रपति शासन यानि कर्फ्यू लागू करने की स्तर तक नाराज़ हो चुके थे !!
ग्राम के अन्य उम्रदराज व्यक्तियों के हस्तक्षेप और माफ़ीनामे की कार्रवाई के बाद मास्साब का गुस्सा शांत हुआ मगर गोलू का ग्राम चौपाल से बहिष्कार के आधार पर !!
मगर बड़प्पन दिखाते हुए गोलू को मास्साब ने माफ कर दिया ..इस शर्त पर कि अगले दिन से कोई भी मोबाईल लेकर ग्राम चौपाल में नहीं बेठेगा !!
अपनी जानकारी को मास्साब ने इस आधार पर भी दुरूस्त कर लिया था कि हो सकता है, गोलू के द्वारा दी गई जानकारी सत्य हो मगर हमारे ज़माने में वातावरण अत्यधिक समृद्ध व शुद्ध होने की वजह से लगभग चौरान्वे प्रतिशत ही था , ऐसा हमारे बुजुर्ग भी कहते थे !! ये आजकल के लोग क्या जानेंगे !
इसीलिए हमें अधिक से अधिक पौधे लगाने ही होंगे हम सभी को और सिर्फ लगाने से ही काम न चलेगा,पौधे बचाने भी होंगे !!
और पाचवाँ उपाय यही है कि हम रबि और खरीफ फसलों के साथ ही साथ जायद फसलें भी लेंगे !!
और किसी उपाय पर चर्चा आगे बढ़ती कि घर में खाना बन जाने का समाचार छोटे बच्चों द्वारा प्राप्त होते ही आज के चौपाल का समापन की औपचारिक घोषणा हो चुकी थी !!
सभी बुजुर्ग अपने -अपने घर की ओर रवाना हो चुके थे शाम को ही डिनर करने !!
युवाओं का गप-शप अभी भी जारी था ।
अब देखते हैं,अगले दिन के चौपाल में मास्साब या कोई और नाराज़ होता है या बिना कोई मोबाईल इन्टरफेयर के ही चौपाल
चलता है !!
ये रूठने-मनाने का सिलसिला ही तो चौपाल को और ग्रामीण परिवेश को जिन्दा रखा हुआ है
आज भी !!
दोस्तों,
यही तो अन्तर है जीने की शैली में !
अब तो कोई रूठ जाये तो मनानेवाला ही कोई नहीं !!
बुजुर्गों की पुरानी कहावत है , अगर घर को खुशहाल रखना है तो सुबह का झगड़ा दोपहर तक खतम कर लेना चाहिए !!
दोपहर के झगड़े को शाम तक और शाम के डगड़े को रात तक खतम कर ही लेनी चाहिए !!
यानि अगली सुबह तक झगड़े को किसी भी स्थिति में बचाकर नहीं रखनी चाहिए !
दोस्तो, कैसी लगी आपको आज की चौपाल !!
अब देखते हैं अगले चौपाल में क्या होता है !!
तब तक के लिए बहुत-बहुत नमस्कार धन्यवाद !
जय हिन्द !
जय ग्राम चौपाल !!
सर्वाधिकार अधीन है