विश्वास ही विज्ञान है,
और विश्वास ही विश्व है,
सजीव हो चाहे निर्जीव,
सभी में विश्वास की गति है,
जीवन हो चाहे मृत्यु हो,
ये भी विश्वास की ही कला है,
विश्वास ही ईश्वर है और उसकी रचनाएं,
सब विश्वास की नींव से उत्पन्न हुए हैं,
विश्वास हर भाषा और भाव का प्राणतत्व हैं,
जिसका विश्वास झंकार करता है,
वह हरपल पल-पल पर गति करता है।।
- ललित दाधीच।।