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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

रिश्तों के आइने में

रिश्तों के आईने में कभी खुद का भी अक्स देखो
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शिकवा गिला शिकायतें किसी से न कर सकोगे ,
रिश्ते के आईने में अगर खुद का भी अक्स देखो।
हमारे जीवन में रिश्तों की क्या अहमियत है और यह हमारे जीवन को कितना प्रभावित करते हैं इससे प्राय हर कोई पूर्णता परिचित है, रिश्तों का संबंध हमारी खुशियों से जुड़ा होता है रिश्तों के होने से ही हम अपनी अपनी खुशी को वास्तविकता में जीते हैं अच्छा महसूस करते है, अपनी खुशी को ही नहीं हम अपने दुख अपनी परेशानियों को भी रिश्तों में बाट लेते हैं वहीं रिश्तों की प्रगाढ़ता समाज में आपकी स्थिति को भी मज़बूती प्रदान करता है ,वास्तव में कहे तो रिश्तो के बिना हमारा जीवन अधूरा सा है यह बात और है कि रिश्ते विश्वास की नींव पर टिके होते हैं जिसके टूटने से रिश्ते भी टूट कर बिख़र जाते हैं और ये आज के समय की बड़ी विडम्बना है कि आज के समय में बदलती संस्कृति और संस्कारों ने लोगो की मानसिकता को भी बदल कर रख दिया हैं आज रिश्ते दिल से नहीं दिमाग से निभाये जाते हैं जिससे रिश्तो की अहमियत को गहरा आघात पहुंचा है जबकि रिश्ते नाते ही होते थे जो हमारे अंदर अच्छे संस्कारों का समावेश करते थे , रिश्तों की डोर बहुत नाज़ुक होती है जो ज़्यादा ढील देने पर उलझ जाती है तो ज़्यादा खींचने पर टूट जाती है, जो समझदार होते है वो रिश्तों के मध्य सामंजस्य बना कर रिश्तो को निभा ले जाते हैं और जो इसका ख़्याल नहीं रख पाते वो टूटे रिश्ते की पीड़ा को जीवन भर झेलते हैं, रिश्ते खूबसूरत होते हैं ज़रूरी है कि हम उसके रख रखाव के प्रति थोड़ी सावधानी रखें ताकि हम अपने जीवन में अपने रिश्तों के साथ वास्तविक खुशी का आनन्द उठा सके उपरोक्त लेख में हम रिश्तों के टूटने के कारणों का उल्लेख करते हुए रिश्तों को टूटने से बचाने के कुछ उपयोगी प्रयासों का उल्लेख भी करेंगे जिन्हें अपनाकर आप निश्चित ही अपने रिश्तों को टूटने से बचा सकते हैं .........
रिश्तो के टूटने के कारण
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●आज रिश्ते दिल के विपरीत दिमाग से निभाये जाते है जो रिश्ते की गरिमा को ख़त्म कर देता है।
!●विश्वास न होना रिश्ते के टूटने का प्रमुख और महत्वपूर्ण कारण है ।
●रिश्तो में गरिमा के अभाव का होना भी रिश्ते के टूटने का कारण बनता है ।
●संवादहीनता का अभाव रिश्ते की गरमाहट को खत्म कर देता है ।
●रिश्ते में एक दूसरे को समझ ना पाना भी रिश्ते के टूटने का कारण बनता है।
● जब रिश्ते में ʼमैंʼ की भावना जन्म ले लेती है और यह मेरा और यह तेरा होने लगता है वहां भी रिश्ते टूटने में देर नहीं लगती ।
●कान भरने से भी रिश्ते टूट जाते हैं ।
●कभी-कभी कड़वे सच और हकीकत से भी रिश्ते टूट जाते हैं ।
●रिश्ते को समय न दिया जाना या उन्हें नजरअंदाज करना भी रिश्ते के टूटने का कारण बनता है ।
●रिश्तो में आई दूरियां भी रिश्तों को कमज़ोर बनाती है ।
●इसमें कोई अतिश्योक्ति नहीं के रिश्ते नाते को बनाए रखने और बिगड़ने में नारियों की भूमिका महत्वपूर्ण होती है।रिश्तों को टूटने से कैसे बचाएं
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●रिश्तों में उम्मीदें कम रख कर ,वहीं मन में गुंजाइशें रखकर भी हम रिश्तों बचा सकते हैं।
●रिश्ते ऐसे बनाएं जिसमें आपको अपने स्वाभिमान के साथ समझौता न करना पड़े।
●गलतफहमी से टूटे हुए रिश्तों का टूट जाना ही बेहतर है, क्योंकि जिस रिश्ते में विश्वास ना उस रिश्ते का होना ना होना मायने नहीं रखता।
● याद रहे निस्वार्थ रिश्ता पाने के लिए आपको निस्वार्थ होना भी मायने रखता है ।ज़रूरत क़ायम रिश्ते ज़्यादा दिन नहीं चलते ज़रूरत ख़त्म होने पर ऐसे रिश्ते खुद ही ख़त्म हो जाते हैं ।
●रिश्तों पर ज़्यादा उम्मीदो का दवाब ना डालें हर रिश्ते को एक खूबसूरत एहसास की तरह जिएं।
●स्वयं को अभिव्यक्त करने के साथ सामने वाले को सुनना समझना भी रिश्तों को टूटने से बचाने में आता है।
●अगर आप रिश्ते नफ़ा नुकसान देख कर निभाते हैं तो आपको खुद पर सोचने की ज़रूरत है क्योंकि रिश्ते एहसास होते हैं कोई सौदा नहीं, जिसे आप हानि लाभ के तराज़ू में तोलें, और निष्कर्ष निकालें, ज़रूरी है हर एक के लिए कि वो रिश्तों के आईने में खुद का भी अक्स देखे ।
●कोई भी रिश्ता हो, हर रिश्ता ज़िम्मेदारी का प्रतीक होता है और रिश्ता वही निभाता है,जो रिश्तो की अहमियत समझता है, और उसकी ज़िम्मेदारी उठाने का हौंसला और हिम्मत रखता हैं वरना गैरज़िम्मेदार लोगों से तो दुनिया भरी है जो रिश्ते की ज़िम्मेदारी को बोझ समझ कर रिश्ता निभाने के विपरीत भाग खड़े होते है ।
●हर रिश्ता स्वयं में सुन्दर और पवित्र होता है लेकिन यह तभी सुंदर और पवित्र बनेगा जब आप मन से रिश्तों की गरिमा और उसकी पवित्रता का ध्यान रखेंगे ।
●जब रिश्तें लाभ- हानि के तराजू पर तोल के निभाये जाएं तो वो रिश्ते ज़रूरत के हो सकते हैं दिल के नहीं।
डाॅ फ़ौज़िया नसीम शाद




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