हों यूं करीब सभी ये जरूरी तो नहीं
हों खुशनसीब सभी ये जरूरी तो नहीं
दर्द सीने में कभी उनको होता ही नहीं
वर्ना अश्कों से दामन भिगोता ही नहीं
हों बदनसीब सभी ये जरुरी तो नहीं
हों खुशनसीब सभी ये जरूरी तो नहीं
गम के साए में अपनी कट रही हैं रातें
आज खुल कर करेंगे उनसे दिल की बातें
वो मिल जाएं अभी ये जरुरी तो नहीं
हों खुशनसीब सभी ये जरूरी तो नहीं
टूट कर इस दिल को बिखर जाने दो
अब दर्द को दिल में यूं ऊभर जाने दो
यह दर्द मिट जाएं सभी ये जरूरी तो नहीं
हों खुशनसीब सभी ये जरूरी तो नहीं
कितने लोगों को यहां खुशी नसीब हुई
कितनी कलियों को ये हंसी नसीब हुई
खुशी मिल जाए हमको ये जरुरी नहीं
हों खुशनसीब सभी ये जरुरी तो नहीं
लेखराम यादव
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