तू बुझी चिता की राख नहीं, तू ज्वाला की पहचान है,
क्रंदन में भी गीत संजोए, तू पीड़ा में मुस्कान है।
अश्रु तेरा अपमान नहीं, यह तो गंगा की धार है,
जो जग के कल्मष धो डाले, वह तेरी लहर अपार है।
जग की प्रथम साँस में तेरी लोरी, प्रथम स्पर्श में तेरी छाया,
प्रथम नयन में तेरा दर्शन, प्रथम शब्द में तेरा ही गान समाया।
अब तू स्वयं पथ गढ़ेगी, अब तू स्वयं दीप जलाएगी,
अपने श्रम से, अपने संकल्प से, नया सवेरा लाएगी।
अबला का छलावा तुझ पर अब प्रतिबिंबित न होगा,
अब कोई रावण तुझे हर सके, यह सम्भव न होगा।

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




