अक्षरों का खिताब
मेरे इन चिंतित लफ़्जों को मैं वांचा दूं
वाक्य की रोचक, हृदय स्पर्शी बोली दूं ।।
माला में पिरो के एकता की एक मिसाल दूं
उचित स्थान और सम्मान का आभूषण दूं ।।
सुशोभित उपवन सा यौवन एवं महक दूं
कथनी उसकी सारी काग़ज़ पर निखार दूं ।।
उद्देश्य शायद सार्थक हो ऐसा बढ़िया मोड़ दूं
लाचारी का कैसा मंज़र मिला उसे भी तोड़ दूं ।।
कहे अल्फाज़ हमारे बंधन को.. क्या.. तोड़ दूं
लक्ष्य को हांसिल कर अक्षरों का खिताब दूं ।।
मेरे इन चिंतित लफ़्जों को मैं वांचा दूं.....