आस-पास जल रहा कोई महक भर दी।
हवा की दिशा ने पोल खोल कर धर दी।।
छोटे-मोटे नगरो में मदद का भरोसा नही।
अपने ही कर्मो से लुटिया डुबो कर धर दी।।
शिकायत करने से काम न बनेगा 'उपदेश'।
महक का इंतजाम खुशबू हर तरफ भर दी।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद