बुरे वक्त पर बावल क्यों करना।
उल्टे सीधे ही सवाल क्यों करना।।
सफर में मुश्किलों की क्या कमी।
बेवजह उनका ख्याल क्यों करना।।
हल निकालने वाला ही मिल गया।
अफरा-तफरी में बेहाल क्यों करना।।
हिज्र की काली रात भी जाती रही।
नये रुख पर अब मलाल क्यों करना।।
संगत का सिला मिल गया 'उपदेश'।
जमाल सलामत हलाल क्यों करना।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद