ये भाई !क्या करते हो तुम।
सच मतलब है डरते हो तुम।
जहां मिला जो सीधा-सादा ,
उस से हरदम लड़ते हो तुम।
सोंच तुम्हारी आखिर क्या है।
क्यों लफड़े में पड़ते हो तुम।
राह तुम्हारी बिन मानवता,
खुद पे चाटा जड़ते हो तुम।
कहते, बड़े खानदानी हो,
क्या लिखते क्या पढ़ते हो तुम।
ख्वाब तुम्हारे उंचाई के,
फिर क्यों चहढ़ उतरते हो तुम।
अपनी कमियां दूसरों के सर,
आखिर क्यों कर मढ़ते हो तुम।
-'प्यासा'