मेरी खुशी का राज तुम करूँ कैसे बयां।
तेरा ख्याल आते दिल का मिजाज नया।।
तैरते ख्यालो के बीच मुस्कान अजनबी।
पल्लू संभालने का हर एक अंदाज नया।।
ऊपर नीचे करती भौहें अपने ही ढंग से।
मन करता छूकर उससे ले लूँ ब्याज नया।।
अपने पर काबु रखने वाली मैं रही कहाँ।
आँखें सिकुड़ती फैलती बजाती साज नया।।
कैद करना चाहती और खुद रहना चाहूँ।
कृपा करे 'उपदेश' और थोड़ी सी दया।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद