इस चमन में वो गुल न खिला, तो खिला कुछ नहीं..
आंसुओं के समंदर में,दर्द के सिवा मिला कुछ नहीं..।
यूं तो हम हर रोज़ गुज़रते है, तेरी गलियों से सनम..
मगर तुमने जो न देखा, तो ये सिलसिला कुछ नहीं..।
मेरी इक–तरफ़ा मुहब्बत की, तस्दीक भी कौन करे..
हमको तो शिकायत है, मगर उनको गिला कुछ नहीं..।
मंज़िल पर जाकर, जो टूट ही जाएंगे ये ख़्वाब मेरे..
फिर दिल–ए–आरज़ूओं का, ये काफ़िला कुछ नहीं..।
पवन कुमार "क्षितिज"

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




