मंजिल पर पहुँच, कभी सफ़र मत भूलना,
काँटों से भरे वो राह वो डगर मत भूलना।
बना लो बड़े शहरों में आलीशान सा महल,
जहाँ गुजरा है बचपन, वो घर मत भूलना।
जो याद करते हों तुम्हें वक्त निकाल कर,
ऐसे लोगों को कभी भूल कर मत भूलना।
वो दरख़्त, जिसने पनाह दी तुम्हें धूप में,
जिस साये में ठहरे, ठहर कर मत भूलना।
जिसने तोड़ा है तुम्हारा दिल जान बूझकर,
माफ़ कर दो भले पर उम्रभर मत भूलना।
🖊️सुभाष कुमार यादव


The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra
The Flower of Word by Vedvyas Mishra







