ऐसे ही थोड़े ही बरस जायेंगे
आजमगढ़ के बदरा
अभी इतरायेंगे नखरे वो दिखायेंगे
मुंह फूला कर कभी इस गली
कभी उस गली में नजर आएंगे
पछुआ अरू पुरवा भौजाई संग
करेंगे अठखेलियां हजार तब
सूरज रूपी चूल्हे पर कढ़ाई
मे हमें पकायेंगे पहले लगेगा
हींग जीरा मरिच का तड़का जानदार
भूनेंगे हमें खूब अलट-पलट
कभी करेंगे आंच तेज कभी धीमा
पानी डाल फिर उबालेंगे बढ़िया
जब अच्छे से पक जायेंगे तब
मेघ बन छा जाएंगे
आजमगढ़ के बैरी बदरा
चमक चमक कर गरज गरज कर
अबकी बारी बरस जायेंगे
आजमगढ़ के बदरा,🌿
✍️ अर्पिता पांडेय

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




