वक्त ना तेरा हुआ ना मेरा हुआ,
वक्त किसी का नहीं हुआ।
वक्त की टहनी के पत्ते हैं हम,
वक्त की टहनी से फिसल रहे हैं हम।
वक्त की दीवारों पर नाम सभी का लिखा है।
वक्त थमता नहीं,
वक्त किसी के लिए रुकता नहीं।
वक्त की ही चली है इस दुनियां में,
वक्त की ग़ुलामी करता है हर कोई।
वक्त ना मिला हमें खुद को तराशने का
वक्त ने साथ हमारा कभी दिया नहीं।
वक्त की चाल बहुत तेज है,
इसके साथ चलना चाहते हैं पर
ना चाहते हुए भी पीछे रह ही जाते हैं।
वक्त ने वक्त तो ना दिया पर तज़ुर्बा दे दिया
कि वक्त किसी का सगा नहीं।
~रीना कुमारी प्रजापत