कापीराइट गजल
वो हंसी कहां से लाऊं
जो गम में तुझे हंसा दे वो हंसी कहां से लाऊं
जो खुशी दे हर घङी वोह हंसी कहां से लाऊं
अब हम को घेरे हुए है यह कशमकश अजीब सी
जो महकाए तेरी सांसों को वो खुशबू कहां से लाऊं
अब खो गई कहीं ये हंसी मुस्कान इन लबों की
जो लौटा दे हंसी तुम्हारी वो कली कहां से लाऊं
जिम्मेदार नहीं है इसका अब कोई भी मेरा अपना
जो खुश कर दे तुम को वो खुशी
कहां से लाऊं
छाई है तेरे चेहरे पर यह उदासी और ये तन्हाई
जो मुस्का दे तेरा चेहरा वो खुशी कहां से लाऊं
ये सोचा था हमने भर देंगे तेरा दामन खुशी से
आबाद हो खुशियों से वो दामन कहां से लाऊं
इसी उलझन में उलझे हैं हम भी रात भर यादव
जो चमकाए तेरी किस्मत वो छङी कहां से लाऊं
- लेखराम यादव
( मौलिक रचना )
सर्वाधिकार अधीन है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



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