देखने का नजरिया अपना अपना।
हमें फैलाव में नजर आता सपना।।
कुछ लोग बाँध कर रखना चाहते।
बाहों में समाए कहते वही अपना।।
खूबसूरती का राज अलबेला उनका।
जिनके नजरिए में हर शख्स अपना।।
मुसाफिर की तरह हमराह हो अगर।
जरूरत पर काम आए शख्स अपना।।
रोशनी देने वाला सूरज 'उपदेश' जैसा।
अँधेरे में दीप बन जाए शख्स अपना।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद