धीरे धीरे सब अच्छा हो जाता है
धीरे- धीरे सब अच्छा हो जाता है।
धीरे- धीरे सब पक्का हो जाता है।।
मुश्किल घड़ी में भी, दिन ढल जाता है।
धीरे - धीरे ये घड़ी भी, अच्छा हो जाता है।।
कीचड़ में खिलता कमल, सुंदर हो जाता है।
ये मुस्कुराते हुए, अच्छा दिखने लग जाता है।।
बारिश भी रिमझिम सावन बरस जाता है।
धीरे- धीरे अपनी ही निशान छोड़ जाता है।।
- सुप्रिया साहू