महसूस करती हूँ तुम्हें असमंजस की बात नही।
ख्वाहिशे पाल कर रखी अब तक मुलाकात नही।।
दिल का दर्द कह नही सकती किसी के सामने।
बचपने में सब कहती सहेली से अब हालात नही।।
पता ही नही चला देखते-देखते सब बदल गया।
प्यार अब भी छटपटाता मगर वैसे ज़ज्बात नही।।
तरसता उसका भी होगा दिल पर किसको पता।
फोन के इंतजार में 'उपदेश' कैसे कहे बेताब नही।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद