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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

मां

बिना मां के श्रजन और श्रृष्टि,
दोनों ही अधूरी है।
रहे अस्तित्व मानव का,
जगत को मां जरूरी है।।
सभी रिश्तों से प्यारा
मां की ममता का ही रिश्ता है।
स्वयं भगवान की भी परवरिश,
हुई मां से पूरी है।।

मनाया लाख पत्थर को,
करी रब से दुहाई थी।
असह पीड़ा प्रसव की सह,
तुझे दुनियां में लाई थी।।
वो स्वर्णिम दिन दोबारा फिर कभी ,
आया न जीवन में।
खुशी न आज तक पाई,
तुझे पाकर जो पाई थी।।

Shikha Prajapati
Kanpur dehat




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (7)

+

राजू वर्मा said

शिखा जी....आपने माँ की ममता को बहुत अच्छे से लिखा है

Lekhram Yadav said

मां की महिमा का खुबसूरत चित्रण किया है आपने, शिखा जी, आपको सुप्रभात सहित सादर नमस्कार

कमलकांत घिरी said

Waah waah behd khubsurati se rachi hai ye rachna aapne maim, bahut sundar 👌👏🙌✍️🙏

Shikha Prajapati said

बहुत बहुत धन्यवाद सर

Shiv Charan Dass said

माँ की ममता ही तो मानवता की शिखा है

Shikha Prajapati said

Thanks all of you

वन्दना सूद said

माँ के अस्तित्व को जितना लिखें उतना कम है बहुत सुंदर लिखा आपने 👌👌👏👏

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