विष का बीज
शिवानी जैन एडवोकेटByss
धीरे से बोया गया, शक का एक कण,
अफवाह बनकर फैला, जैसे कोई विपण।
रिश्तों की बगिया में, उगता है ये विष,
करता है दिलों को, पल भर में तहस-नहस।
बिन देखे, बिन जाने, करते हैं यकीन,
सच्चाई की आवाज़ भी, लगती है बेदीन।
मन में उपजाता है, संदेह का सागर,
बदल देता है अपनों को भी, बेगाना नागर।
मत दो इसे हवा, न बनने दो तूफ़ान,
अफवाह की आंधी में, खोता है ईमान।
जाँचो हर बात को, बुद्धि से विचारो,
अफवाह का ये ज़हर, जीवन से निकालो।

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




