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Dastan-E-Shayara By Reena Kumari Prajapat

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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra
The Flower of WordThe novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

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The novel 'Nevla' (The Mongoose), written by Vedvyas Mishra, presents a fierce character—Mangus Mama (Uncle Mongoose)—to highlight that the root cause of crime lies in the lack of willpower to properly uphold moral, judicial, and political systems...The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

                    

परेशानी है

झूठा बोले झूठ तो किस बात की हैरानी है,
सच्चे गर सच न बोले तो फिर परेशानी है।

मुझको, मुझसे बेहतर कौन जानता है भला,
मैं खुद से जो बोलूँ झूठ, तो ये बेईमानी है।

यूँ तो मैं खुद को ढालता हूँ कईं किरदार में,
क्यों बदल जाती हर बार मेरी ही कहानी है।

दर्द, गम, तड़प, झिझक, अफ़सोस व बेचैनी,
इनके सिवा और है क्या? यही ज़िंदगानी हैं।

मैं कमरे में सोये छत से देखता चाँद-सितारे,
और जिसे चाहता हूँ, वो महलों की रानी है।
🖊️सुभाष कुमार यादव




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (5)

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Lekhram Yadav said

क्या खूबसूरत आत्म विश्लेषण किया है सुभाष जी,बहुत खूबसूरत रचना, सुप्रभात सहित सादर नमस्कार।

सुप्रिया साहू said

मैं कमरे में सोये छत से देखता चाँद-सितारे,
और जिसे चाहता हूँ, वो महलों की रानी है।
वाह क्या खूब लिखा आपने महलों की रानी हो या फिर कहीं और की जो दिल में रहता है वो रहता ही है बहुत खूबसूरत रचना सर 👌👌, आपको सादर प्रणाम 🙏🙏।

रीना कुमारी प्रजापत said

Waah waah waah... Har lafz bahut hi khubsurat hai... Very nice

आलम-ए-ग़ज़ल - परवेज़ अहमद said

वाह! बहुत ख़ूब! बेहतरीन रचना लिखी है आपने, सुभाष जी! आदाब! 👌👌👏👏

मनोज कुमार सोनवानी "समदिल" said

वाह!! सुभाष जी, आत्ममूल्यांकन, जिंदगी की हकीकत, और प्रेम की सुंदर कहानी का खूबसूरत चित्रण।🙏🌹🌹

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