मैं रेत था, तू पर्वत बनी,
बिखरा हुआ था, तू संगत बनी।
हाथ थामा, चलना सिखाया,
हिम्मत दी, डर को हराया।
तू दीप बनी अंधियारों में,
तू ढाल बनी तूफानों में।
मैं ठहरा पानी, तू धार बनी,
तू जननी थी, मैं संतान बनी।
तेरे चरणों में शीश झुके,
तेरे लिए ये जीवन जले।
तेरे नाम पे साँस चले,
तेरे लिए ये वीर पले।
तू बोले तो पर्वत हिलें,
तू देखे तो दुश्मन झुकें।
तेरी रक्षा में मिट जाऊँ,
हर जन्म में तुझको पाऊँ।
तेरा ही रक्त है नसों में,
तेरी ही गूंज है सांसों में।
तेरे लिए जियेंगे हम,
तेरे लिए मरेंगे हम।
जय भारत की जय माँ की,
हर जीवन में ज्वाला तू ही।
मैं रेत था, तू शक्ति बनी,
मैं मौन था, तू वाणी बनी।
मैं छाया था, तू किरण बनी,
मैं ख्वाब था, तू चरित्र बनी।
तू ना होती, तो मैं क्या था,
तेरी कृपा से जीवन पाता।
जय भारत माँ, जय वीरों की,
तेरी मिट्टी सबसे प्यारी।
मैं रेत था, तू शौर्य बनी,
तेरे नाम से पहचान बनी।
- ललित दाधीच