ये सिर्फ़ इत्तिफ़ाक़ है,
या फिर कोई बात है।
दफ़न था जो मेरे सीने में बरसों से,
आज बताया उसने मुझे वही राज़ है।
क्या ये सिर्फ़ इत्तिफ़ाक़ है ?
ये सिर्फ़ इत्तिफ़ाक़ है,
या फिर कोई बात है।
ना मिले वो मुझसे कभी
ना ही मिली मैं उनसे कभी
फिर कैसे वो जानते मेरा हाल है।
क्या ये सिर्फ़ इत्तिफ़ाक़ है ?
ये सिर्फ़ इत्तिफ़ाक़ है,
या फिर कोई बात है।
जो प्यार अपनों से पाने के लिए
बरसों तरसती रही मैं,
वो प्यार उस अजनबी से
मिला मुझे आज है।
क्या ये सिर्फ़ इत्तिफ़ाक़ है ?
ये सिर्फ़ इत्तिफ़ाक़ है,
या फिर कोई बात है।
मेरे अपनों को ना हुआ मुझ पर कभी गर्व,
पर उन्हें मुझ पर बड़ा नाज़ है।
क्या ये सिर्फ़ इत्तिफ़ाक़ है ?
ये सिर्फ़ इत्तिफ़ाक़ है,
या फिर कोई बात है।
जो अपनापन अपनों के साथ रहकर भी कभी
महसूस नहीं हुआ,
वो मीलों फ़ासलों के बाद भी महसूस होता
उनके साथ है
क्या ये सिर्फ़ इत्तिफ़ाक़ है ?
✍️ रीना कुमारी प्रजापत ✍️