हार-जीत की बात निराली
दुनिया सारी करती है
क्या हारा है? क्या जीता है?
लेखा जोखा करती है ।
जो जीत जाये तो जश्न मनाये
बजा बजा कर जीत बिगुल
हार गए तो हो जाते हैं
पल में सारे शोकाकुल।
क्या जीतना? क्या हारना?
यह तो लगा ही रहता है
कुछ आता है कुछ जाता है
यहाँ सब कुछ सहना पड़ता है।
गर ना होता भय हार का
मेहनत यहाँ कोई ना करता
गर ना होता लालच जीत का
कोई किसी को अनदेखा ना करता ।
लालच जीत का फिर भी ठीक है
पर अनदेखा ना किसी को करना
मेहनत करना कर्म हमारा
दिल में किसी का भय ना रखना ।
कभी किसी की ख़ुशी के खातिर
हंशी ख़ुशी हम हार भी जाये
ऐसी हार, हार नहीं होती
हार कर भी विजेता कहलाएं ।
हार - जीत की बात निराली
दुनिया सारी करती है
क्या हारा है? क्या जीता है?
लेखा जोखा करती है ।
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