प्यार को "याद" बना लोगे तो खुश रहोगे।
याद को सीने में सज़ा लोगे तो खुश रहोगे।
भूल से भी ज़िक्र न करना अपनी मोहब्बत का किसी से,
दिल में ही ताजमहल बना लोगे... तो खुश रहोगे।
— सरिता पाठक
मेरे द्वारा लिखी गई यह रचना पूर्व में अमर उजाला काव्य पर प्रकाशित हो चुकी है।