ये कैसे हैं विद्वान,
जिनका कोई नहीं ईमान।
अंकी इंकी डंकी लाल,
कर रहे हैं चोरी।
उलट फेर करके,
कर रहे हैं सीना जोरी।
फेंक रहा है ,
इधर उधर की।
एक नया बक्सा रोज भरते हैं,
उसमें झूठ के पुलिंदे ठूंस ठूंस कर रखते हैं।
घड़ा भर गया है पाप का,
अब याद आ रहा है गर्दन के माप का।
दिख रहा है जहर सांप का।
जब पत्र पर पत्र आ रहा है जांच का।
अब खेल रहे हैं खेल इसने किया उसने किया।
मैंने तो बस हस्ताक्षर किया।

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




