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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

गजल - आई बसंत

कापीराइट गजल

बदले तेवर जब मौसम ने एक नई शुरूआत हुई
आई बसन्त मेरे घर में जब पत्तों की बरसात हुई

चलते देखा आज हवा को मन्द - मन्द गलियारों में
पेड़ों से गिरते पत्तों से सर-सर की आवाज हुई

एक नया आलम था यारो चारों और हवाओं में
छाई धरती पर हरियाली टप-टप जब बरसात हुई

पीली, चादर औढ़ के ये, लगती है धरती दुल्हन
एक प्यारी सी दुल्हन से यूं अपनी मुलाकात हुई

फूल खिलें हैं नए-नए इन खेतों में खलिहानों में
ले कर आई है बसन्त ये रंगों की बरसात नई

चेहरे सबके खिले हुए हैं धरती मां के आंगन में
एक प्यारी सुन्दर कोंपल से आज हमारी बात हुई

चुपके से बोली कोयल तू उत्सव आज मना यादव
इस रंग बिरंगी होली में यूं जब रंगों की बरसात हुई

- लेखराम यादव
(मौलिक रचना)


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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (2)

+

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

एक नया आलम था यारो चारों और हवाओं में छाई धरती पर हरियाली टप-टप जब बरसात हुई Bahut sundar panktiyan evam bhavon se bhari huyi shandar ghazal, saadar pranam adarneey

Lekhram Yadav replied

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' आपका बहुत-बहुत हार्दिक धन्यवाद एवं सुप्रभात सहित सादर नमस्कार। आपकी प्रतिक्रिया मेरे लिए बहुमूल्य और प्रेरणादायक होती है,इसके लिए आपका बहुत-बहुत आभार।

वन्दना सूद said

बहुत सुंदर प्रस्तुति 👌👌👏👏

Lekhram Yadav replied

आपका बहुत-बहुत हार्दिक धन्यवाद एवं सुप्रभात सहित सादर नमस्कार वन्दना जी।

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