जमीन पर कदम मगर मन उड़ान पर।
तुमसे अच्छी नही कोई इस जहान पर।।
सब जानता मगर आँकना भारी लगा।
बेबस दिल ठहर गया उस अनजान पर।।
रिश्तो के मायाजाल में शामिल होकर।
गणित लगाते देख रहा आसमान पर।।
मन की चंचलता हाथ लगता कुछ नही।
जुगत लगा रहा 'उपदेश' उस जान पर।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद