देख रही है एक बिटिया बच्चो को जाते हुए स्कूल
सोच रही है ,क्या हो गई मुझसे कोई भूल।
जा पाऊँगी मै भी शायद कभी तो स्कूल
निकाल पाऊँगी क्या मै अनपढ़ता के ये शूल।
बनूंगी फिर मै भी पढ़ी-लिखी और कामयाब
दिखाकर अपनी प्रतिभाऐ कहलाऊँगी मै भी लाजवाब।
अनपढ़ता के जीवन से मुझे भी मिलेगा छुटकारा
हर ओर गूंजेगा फिर मेरी उन्नति का ही नारा
-राशिका