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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

खोल के बैठी है

खोल के बैठी है अब किताब जिन्दगी
ले रही है अपना अब हिसाब जिन्दगी

किसने दिया है क्या किसने लिया है क्या
अब ले रही है सब से ये हिसाब जिन्दगी

जबाब जिस सवाल का मिला नहीं कभी
अब दे रही है उसका भी जबाब जिन्दगी

कितने किए हैं पुण्य कितने किए हैं पाप
गिन-गिन के ले रही है हिसाब जिन्दगी

किसने किए हैं छल किसने दिए
हैं गम
न जाने देगी किसको ये खिताब
जिन्दगी

बांट दो तुम प्यार से अपनी हर
खुशी
कहती है आप सबसे जनाब जिन्दगी

कर्म कुछ अच्छे अब कर लिया करो
वर्ना सजा दे जाएगी बेहिसाब जिन्दगी

यादव ने कब कहा है तुम काम
न करो
बढ़ता है आगे काम से जनाब आदमी
लेखराम यादव


यह रचना, रचनाकार के
सर्वाधिकार अधीन है


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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (4)

+

कमलकांत घिरी said

बहुत खूब श्री मान अति उत्तम भाव👌

Lekhram Yadav replied

आदरणीय कमलाकांत घिरी जी नमस्कार सहित धन्यवाद कि आपको मेरी यह रचना पसन्द आई।

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

Bahut sundar Yadav sir der se mili par durust rachna mili padhne ko bahut khoob bayan Kiya zindagi ko rachna ke madhyam se

Lekhram Yadav replied

सर, आपने इस रचना के बारे में जो कुछ कहा मेरे लिए वही काफी है।

Muskan Kaushik said

Very well done...bahut achii rachna👏

Lekhram Yadav replied

आदरणीय मुस्कान कौशिक जी आपको मेरी रचना अच्छी लगी,यह जान कर मुझे अति प्रसन्नता हुई। मैं आपको धन्यवाद सहित धन्यवाद करता हूं।

वन्दना सूद said

बहुत खूब लिखा sir 👌👌🙌🏻🙌🏻👏👏

Lekhram Yadav replied

सुप्रभात एवं धन्यवाद सहित सादर नमस्कार वन्दना जी

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