तुम्हारे ग़ज़ल में क्यूं हमारे दर्द का हवाला था तुम्हारा हर लफ्ज़ हमारे गम का ये कैसा आइना था
जा के तेरे करीब वापस लौट आए वो इक जमाना था तेरी यादों ने छेड़ा गम को ये कैसा फसाना था
जो कहता था कभी तेरे साथ हैं साए की तरह मुझसे ना मिलने का निकाला भी ये कैसा बहाना था
गर शिकवा है न मिले हैं हम कभी आपसे मगर रंज मेरा नहीं आपका निकला ये कैसा इतराना था
तेरे इनकार को इकरार जाना इस कदर दीवाना था दिल की बात जुबां पे आई ये कैसा नजराना था
🙏मेरी स्वरचित ग़ज़ल दिल ए बेताब🙏


The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra
The Flower of Word by Vedvyas Mishra







